फैसला

खनिजों पर राज्यों को रॉयल्टी और कर वसूली का  सुप्रीम कोर्ट ने दिया  हक

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने खनिज संपन्न राज्यों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें खनिजों और खनिज-युक्त भूमि पर केंद्र सरकार से 12 वर्ष में क्रमबद्ध तरीके से रॉयल्टी तथा कर पर एक अप्रैल 2005 से बकाया लेने की बुधवार को अनुमति दे दी। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि 25 जुलाई के आदेश को आगामी प्रभाव से लागू करने की दलील खारिज की जाती है। पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस अदालत ने उसके समक्ष आए सवालों का 8:1 के बहुमत से 25 जुलाई को जवाब दे दिया था। साथ ही खदानों, खनिज-युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार राज्यों को दिया था।

31 जुलाई को हुई थी सुनवाई

उन्होंने कहा कि 25 जुलाई का फैसला सुनाने के बाद केंद्र सरकार ने इस फैसले को आगामी प्रभाव से लागू करने का अनुरोध किया था। मामले पर 31 जुलाई को सुनवाई की गई थी। केंद्र ने खनिज संपन्न राज्यों को 1989 से खनिजों और खनिज-युक्त भूमि पर लगाई गई रॉयल्टी उन्हें वापस करने की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि इसका असर नागरिकों पर पड़ेगा और प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) को अपने खजाने से 70,000 करोड़ रुपये निकालने पड़ेंगे।

2005 से पहले के लेनदेन पर टैक्स नहीं

पीठ ने कहा कि यह दलील खारिज की जाती है कि खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम (एमएडीए 25 जुलाई के आदेश) को आगामी प्रभाव से लागू किया जाए। उसने केंद्र और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों समेत खनन कंपनियों द्वारा राज्यों को बकाए के भुगतान पर शर्तें लगायीं। कोर्ट ने कहा कि राज्य एमएडीए (25 जुलाई के आदेश) में निर्धारित कानून के अनुसार, संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-2 की प्रविष्टि 49 और 50 से संबंधित कर मांग सकते हैं या नए सिरे से कर की मांग कर सकते हैं। कर की मांग एक अप्रैल 2005 से पहले के लेनदेन पर नहीं होनी चाहिए।

किस्तों में भुगतान करने का समय

सूची-2 की प्रविष्टि 49 भूमि तथा इमारतों पर कर से जुड़ी है जबकि प्रविष्टि 50 खनिज विकास से संबंधित कानून द्वारा लागू किसी भी पाबंदी के अधीन खनिज अधिकारों पर करों से जुड़ी है। पीठ में जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओका,जस्टिस बी वी नागरत्ना, जस्टिस जे बी पारदीवाला, जस्टिसमनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भूइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि राज्यों द्वारा कर लेने के लिए एक अप्रैल 2026 से 12 वर्ष की अवधि में किस्तों में भुगतान करने का समय दिया जाएगा।”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected....
Latest
मां मंगला और शाकम्बरी, आबो हवा के साथ नदी को भी कर रहे है प्रदूषित -बजरंग अग्रवाल राष्ट्रीय सेवा योजना विशेष शिविर का भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न जोन स्तरीय शालेय बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता कुलबा में निराकार पटेल के हाथों सम्मानित हुए प्रतिभागी धान चोरी करने के संदेह में लोगों ने रस्सी से बांध कर एक व्यक्ति को पीट पीट कर मार डाला , तीन संदेही ... 6 टन 200 किलो अवैध कबाड़ के साथ दो चालक गिरफ्तार बिजली के तारो को छू रहे पेड़ो से मंडरा रहा दुर्घटनाओं का खतरा कोतरा में जोन स्तरीय क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिता का सफल हुआ आयोजन स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट कन्या हिन्दी विद्यालय घरघोड़ा किया गया विकासखंड स्तरीय युवा उत्सव का आयोजन ट्रांसपोर्ट ऑफिस में हुई चोरी का पर्दाफाश : 6 आरोपी गिरफ्तार, ट्रेलर टायर और बैटरियां बरामद जन्म-मरण के चक्र से निकलने का एकमात्र मार्ग आध्यत्म-संत रामपाल जी महाराज