मृतक और आरोपी दोनों गांजा तस्कर, प्रेमिका के पिता के साथ मिलकर उतार दी साथी को मौत के घाट
द्वितीय अपर सत्र न्यायालय ने मृतक के पार्टनर को सुनाया आजीवन कारावास की सजा प्रेमिका का पिता हो गया बाइज्जत बरी
ब्रह्मोस न्यूज रायगढ़। गांजा तस्करी के धंधे में लेनदेन को लेकर हुए मन मुटाव के कारण पर्टनर ने अपने साथी की प्रेमिका के पिता से हाथ मिला लिया और योजना बद्ध तरीके से शराब पीला कर उसकी हत्या कर दी । यही नही पुलिस को गुमराह करने के लिये दोनो आरोपियों ने लाश को पावर ग्रीड के पास जंगल में फेंक कर फरार हो गये। इस मामले में आज द्धितीय अपर सत्र न्यायालय के जज जितेंद्रे कुमार ठाकुर ने मृत्क के पर्टनर अरोपी देवदास महंत को धारा 302 के तहत दोषी सिद्ध होने पर उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 5 हजार रूपये के अर्थदंड़ से दंडित किया है। जबकि कोर्ट ने मृत्क की प्रेमिका के पिता को दोष सिद्ध नही होने पर उसे बाइज्जत बरी कर दिया। इस पूरे मामले में शासन की ओर से अपर लोक अभियोजक मोहन सिंह ठाकुर ने पैरवी की।
मृत्क आरोपी दोनो तस्कर
दर असल मामला कुछ इस प्रकार है। ग्राम बायंग निवासी कमलदास महंत उसी गांव के देवदास महंत के साथ मिल कर गांजा तस्करी तथा अवैध शराब का धंधा करता था। इसमें मृत्क का पटर्नर देवदास के साथ लेनेदेन को लेकेर मनमुटाव था। यही वजह है किे आरोपी देवदास अपने पटर्नर को ठिकाने लगाने के लिये मौका ढूंढ रहा था। इधर मृत्क का उसी गांव के कैलाश सिदार की बेटी से प्रेम प्रसंग होने की जानकारी होने पर कैलाश सिदार ने मृत्क को जान से मारने की धमकी थी । इससे देवदास को मौंका मिल गया और दोनो ने मिल कर कमल को योजनाबद्ध तरीके से मौंत के घाट उतार दी ।
ऐसे दी वारदात को अंजाम
देवेदास महंत ने मृत्क कमल महंत को 18 दिसम्बर को योजना बद्ध तरीके से ठग कर अपने साथ अपनी मोटर सायकल में बैठा कर नंदेली ले गया। वहां दोनो ने छक कर शराब पी औरे उसे लेकर जोगीतराई में ले जाकर छोड़ दिया और कैलाश को साथ लेकेर आया और योजनाबद्ध तरीके से मृत्क को ग्राम कोतरा के पास एकांत जगह में राड से उसकी हत्या कर लाश को पावरग्रीड के पास छोड कर फरार हो गये। इसमे कोतरा रोड पुलिस ने जांच विवेचना के बाद दोनो आरोपी के खिलाफ धारा 302 के तहत जुर्म पंजीबद्ध कर मामले को विवेचना में लिया और दोनो आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। वहां आज कैलाश कपूर सिदार के खिलाफ सबुत नही मिलने पर उसे दोष मुक्त कर दिया गया और देवदास का दोष सिद्ध होने पर उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।