अध्यात्म

गोपाल मंदिर के कण-कण में बसे है भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा

संतोष मेहर की विशेष रिपोर्टिंग…

गोपाल मंदिर की अद्भुत नक्काशी देख कर खो जाते है भक्त। मां चंद्रहासिनी के आंगन में बनी है मनमोहन की भव्य मंदिर

ब्रम्होस न्यूज रायगढ़। ब्रह्मांड के चराचर में समाए भगवान की कृपा भी जैसे अपरम्भ पार है। साल के 12 माह देवी देवताओं के पूजा अर्चना करके हमारे देश के श्रद्धालु जैसे कृतार्थ हो जाते है। यही नही  साल के 12 मास तक श्रद्धालुओं के मन में आस्था, भक्ति और विश्वास की लहर दौड़ती रहती है। ठीक वैसे ही जैसे इस शारदीय नवरात्र में मां जगदम्बे के मंदिरों में आस्था की दीप जगमगा रहे है। इसी तरह मां चंद्रहासिनी मंदिर के ठीक सामने निर्मित गोपाल मंदिर की भव्यता और मंदिर की नक्काशी देखते ही बन रहा है। जिसे निहारने बरबस ही श्रद्धालु खिंचे चले आते है। यही नही मंदिर में आने वाले भक्त जैसे वहां भगवान के दर्शन के बाद मंदिर की नक्काशी और भव्यता में खो जाते है। चहुओर जैसे मन को सुकून देने वाली एक अजीब सी शांति है जिसमे भक्त खो से जाते है। 

भगवान जगन्नाथ है विराजमान

वैसे तो श्री कृष्ण मनमोहन मुरारी के कई नाम है। जिसमे से एक नाम गोपाल भी है और  उक्त भव्य मंदिर का नाम भी गोपाल मंदिर है परंतु रियासत कालीन समय मे निर्मित मंदिर में मन को मोह लेने वाले भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मनमोहक प्रतिमा विराजमान है। जिसके दर्शन के बाद श्रद्धालु का मन सकून और शांति से भर जाता है जैसे उसके बाद कुछ पाने की हसरत ही नही होती।  

राजस्थान के पत्थर से की गई है नक्काशी

पंडित श्यामबन्धु मिश्रा

इस बारे में ब्रह्मोस न्यूज़ के संपादक ने जब मंदिर क्यों पुजारी श्याम बंधु मिश्रा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि गोपाल मंदिर रियासत काल से बनी हुई है परंतु साल 2017 में मंदिर का पुनः नया निर्माण कराया गया जिसमें राजस्थान से विशेष पत्थर मंगया गया और उस पत्थर में नक्काशी करके भव्य मंदिर का निर्माण किया गया जिसके कोने कोने में भगवान छोटी छोटी की प्रतिमाव डिजाइन  और नर्तकों की प्रतिमा अंकित की गई है। इसमे खास बात यह है कि भगवान जगन्नाथ के साथ साथ शिव पार्वती और राधा कृष्ण की मनमोहक प्रतिमा मंदिर में विराजमान है। 

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3 करोड़ 28 लाख की लागत से हुई है निर्माण

मंदिर के पुजारी श्याम बंधु ने बताया कि मंदिर के संस्थापक गोविंद अग्रवाल है जिन्होंने 3 करोड़ 28 लाख रुपये की लागत से पुराने मंदिर को पूरी की तर्ज पर निर्माण कराया है।

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