राजनीतिक माया ने कर दिखाया फेरबदल का खेल , शासन ने कर दिया जिला शिक्षा अधिकारी के स्थानातरण आदेश निरस्त
ब्रह्मोस न्यूज रायगढ़। हाल ही में जहां जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारतीय प्रचार्य के पोस्टिंग को लेकर विभाग में चर्चाओं का बाजार गर्म था। वही छत्तीसगढ़ शासन ने बलौदा बाजार के हिमांशु भारतीय प्रचार्य का रायगढ़ के जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर स्थापित किये जाने के आदेश को निरस्त कर दिया है। इससे विभाग में एक बार फिर राजनीतिक गरमा गई है। यही नहीं आदेश निरस्त होने और प्रभारी महिला जिला शिक्षा अधिकारी के बने रहने के चांसेस को लेकर विभाग के वरिष्ठ प्रधान पाठकों के पेट में गुड़गुडी बढ़ गई है और दावेदारी की होड़ में अपने आकाओ के आगे पीछे टहलना शुरू कर दिये हैं । खास बात यह है कि हिमांशु भारतीय प्राचार्य अपने जिले के राजनीतिक गलियारों में ऊंची पहुंच रखते हैं और अपने बड़े नेताओं का चेहता होने की वजह से स्थानांतरण का आदेश निरस्त करवा लिए। यही वजह है कि हिमांशु भारतीय प्राचार्य का पद स्थापना रायगढ़ जिले में होने के बावजूद उन्होंने अब तक पदभार ग्रहण नहीं किया जिसे छत्तीसगढ़ शासन ने निरस्त कर दिया है।
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क्या यही है सच की विभागीय खिचड़ी
खास बात यह है कि बलौदा बाजार के जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारतीय प्राचार्य अपने जिले के लिए समर्पित रहे हैं और यही वजह है कि बड़े नेताओं के नजदीक होने की वजह से उन्हें बलौदा बाजार से रायगढ़ के लिए रिलीफ नहीं किया जा रहा था । इसे लेकर प्रदेश के मुखिया तक से राजनीतिक गलियारों के महारथियों ने गुहार लगाई और इसका प्रतिफल है कि आज राज्य शासन ने हिमांशु भारतीय प्राचार्य के स्थानांतरण आदेश को निरस्त कर दिया है । यही नहीं इसके साथ दो और अधिकारियों के स्थानांतरण आदेशों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया।
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मजबूती दावेदारी की
इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि इसका लाभ रायगढ़ के प्रभारी महिला जिला शिक्षा अधिकारी को मिल रहा है जिसके वह हकदार माने जा रहे हैं । इसमें विभागीय सूत्रों की माने तो जिला शिक्षा विभाग में बी बाखला और के के स्वर्णकार के रिटारमेंट के बाद सहायक संचालक के काबिल वहां एक ही महिला अधिकारी वरिष्ठ के वरीयता क्रम में मौजूद थी। जिसे जिला शिक्षा अधिकारी के प्रभार की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि कुछ प्राचार्य को महिला शिक्षा अधिकारी तक्षशिला एक्का को प्रभार दिया जाने से हजम नहीं हो रहा है। यही वजह है कि शिक्षा विभाग में ऑफीशियली राजनीति का माहौल गर्म है। बताया या भी जा रहा है कि जिस सांख्यिकी महिला अधिकारी को प्रभार दिया गया है। उनका मूल पोस्ट अलग होने की वजह से सहायक संचालक का पद नहीं दिया जा सकता। ऐसे में वरिष्ठ प्राचार्य में इस बात को लेकर नाराजगी नजर आ रही है। बहरहाल मामला जो भी हो जिला शिक्षा अधिकारी के प्रभार को लेकर जिस तरीके से पहली बार शिक्षा विभाग में ऑफिस राजनीति गरमाई हुई है वह पिछले एक दशक में कभी नजर नहीं आया।