शिक्षा विभाग से निकला अफसर शाही फरमान, शिक्षक व कर्मचारियों में आक्रोश
ब्रह्मोस न्यूज़ रायगढ़। नित नए तरीकों से चर्चाओं में बने रहने वाले जिला शिक्षा विभाग एक बार फिर विवादों के कटघरे में खड़े होते नजर आ रही है जहां इन दिनों प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के एक आदेश ने जिले के शिक्षकों एवं कर्मचारियो मैं हड़कंप मचा दिया है। इसमे शिक्षकों / कर्मचारियों के अधिकारो को ताक पर रख कर एक अफसर शाही फरमान जारी किया गया है जिसे लेकर तमाम शिक्षकों एवं विभाग के कर्मचारियों में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। खास बात यह है कि प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी ने अनुविभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक में जिला प्रशासन के आदेश का हवाला देते हुए आदेश दिया है कि जिले के शिक्षकों/कर्मचारी की किसी भी सामाजिक, राजनीतिक या धार्मिक गतिविधियों एवं रैली प्रदर्शन में सम्मिलित न होवे अथवा भाग लेने से अनुशासनात्मक कार्यवाइ करने के निर्देश जारी किए हैं । इसे लेकर कर्मचारियों में भीतरी भीतर आक्रोश अपने लगा है। प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश में बताया गया है कि शिक्षकों एवं कर्मचारियों को सामाजिक धार्मिक एवं रैली प्रदर्शन में उनकी सहभागिता देखने को मिल रही है जो अत्यंत के खेद जनक है। यही नहीं आदेश में यह भी बताया गया है कि शिक्षक / कर्मचारी आम नागरिकों को उकसाने के भी कार्यो में सम्मिलित हो रहे हैं। इससे उच्चअधिकारियों में नाराजगी देखे जाने की बात कही गई है। इस लिहाज से आदेश जारी किया गया है कि शिक्षक/ कर्मचारी उपरोक्त किसी भी प्रकार के गतिविधियों में शामिल न होवे और अगर ऐसा पाया जाता है तो उनके ऊपर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
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संस्था प्रमुखों पर भी लटकेगी तलवार
इस मामले में जिला शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए निर्देश में साफ-साफ लिखा गया है कि इस तरह के किसी भी गतिविधियों में शिक्षक / कर्मचारियों को संलिप्त पाया जाता है तो उनके साथ-साथ संस्था प्रमुख के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए अग्रसर किया जाएगा।
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करो या मरो की स्थिति बरकरार
इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा आदेश में कहा गया है कि इस आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए तथा उपरोक्त संबंध में किसी भी प्रकार कि अप्रिय स्थिति हेतू स्वयं अथवा संस्था प्रमुख जिम्मेदार होंगे ।
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कहीं इसकी आशंका तो नहीं
खास बात यह है कि युक्ति युक्त कारण के विरोध में शिक्षक संगठन भी मोर्चा बंदी की तैयारी कर रहे हैं और बैठकों को दौर जारी है । वहीं दूसरी तरफ जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा निकल गए फरमान ने कोई आशंकाओं को जन्म दे दिया है। जिसमें युक्ति युक्त करण के मोर्चाबंदी को कहीं विफल करने की प्रशासनिक रणनीति तो नहीं । इस बात से इनकार नहीं किया सकता की शिक्षकों के बैठकों से प्रशासनिक हल्को भी मैं भी भीतर ही भीतर हलचल मचने लगी है।
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क्या कहते है संगठन
यह आदेश सविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार का हनन है। शिक्षको को अपने ड्यूटी के साथ अपने पारिवारिक, सामाजिक और धार्मिक दायित्व का निर्वहन करना पड़ता हैं।जिस पर रोक लगाना पूर्णतः अनुचित है।इस आदेश का हम विरोध करते हुए तत्काल निरस्त करने का मांग करते हैं।
राजकमल पटेल ,जिलाध्यक्ष
छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ रायगढ़
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उक्त आदेश हमारे अधिकारी कर्मचारी और शिक्षकों के मूल अधिकार का हनन है।
संजीव सेठी ,कार्यकारी जिला अध्यक्ष
छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ
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संघ के कड़े विरोध के बाद हुआ संशोधन
इस मामले में सूत्रों की माने तो शिक्षक संघ के कड़े विरोध के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश में संशोधन करते हुए से सिर्फ राजनैतिक गतिविधियों एवं रैली प्रदर्शन में भाग नही लेने के आदेश मैं कनवर्ट कर दिया है।