130 बच्चों को पढ़ रहे हैं मात्र दो शिक्षक, भालूमार के बच्चों ने कलेक्टर से कि मुलाकात
ब्रह्मोस न्यूज रायगढ़। युक्ति युक्त कारण के तहत जहां शासन ने हाल ही में 60 बच्चों में दो शिक्षक एक प्रधान पाठक तथा एक सहायक शिक्षक अनिवार्य कर दिया है। वही घरघोड़ा नगर पंचायत के ग्राम पंचायत भालुमार शासकीय माध्यमिक शाला में 130 स्कूली बच्चों को महज दो शिक्षक ही पढ़ रहे हैं। ऐसे में शासन के नियम कानून की धज्जियां किस तरह उड़ रही है। इसका जीता जागता उदाहरण आज कलेक्टर के जन दर्शन में नजर आया । वहां घरघोड़ा थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत भालूमार के स्कूली बच्चों ने कलेक्टर कार्तिकेय गोयल से प्राइमरी एवं मिडिल में दो-दो शिक्षक अनिवार्य रूप से नियुक्त करने की गुहार लगा रहे थे । ऐसे में शासन के युक्ति युक्त करण का आने वाला समय में क्या निष्कर्ष निकलेगा यह भविष्य मैं ही पता चल पाएगा। खास बात यह है कि शासन ने युक्ति युक्त कारण के तहत 10 बच्चों की दर्ज संख्या वाले स्कूल को 1 किलोमीटर के परिधि में मर्ज करने और 10 बच्चों वाली स्कूल में ताला लगा देने का आदेश युक्तियुक्त करण तथा जारी कर तो दिया हैं। परंतु जिले में आज भी कई ऐसी स्कूल है जहां न तो पर्याप्त शिक्षक है और न ही दर्ज संख्या ऐसी स्थिति में जहां पर 10 बच्चों से भी कम दर्ज संख्या है। शिक्षकों में हड़कंप का माहौल तो निर्मित है। साथ ही युक्ति युक्त कारण के इस आदेश ने कई व्यावहारिक समस्याएं भी खड़ी होती नजर आ रहे हैं। इस लिहाज से देख तो लगता है कि युक्ति युक्त करण के इस आदेश का आने वाले समय में हास्यास्पद की स्थिति निर्मित ना हो जाए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।
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क्या कहते हैं भालूमार के स्कूली बच्चे
आज ऐसे ही करण को दर्शाती भालूमार के बच्चों ने कलेक्टर को ज्ञापान सौंपते हुए बताया कि प्राइमरी एवं मिडिल स्कूल भालुमार में कुल 130 स्कूली बच्चे है जिसमे प्राइमरी में 50 और मिडिल में 70 बच्चों की दर्ज संख्या है । वहां पर मात्र एक-एक ही शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं। इसके कारण स्कूली बच्चों कि पढ़ाई लिखाई पूरी तरह प्रभावित है। उन्होंने कलेक्टर कार्तिकेय गोयल से मांग की है कि प्राइमरी तथा मिडिल में दो दो शिक्षक अनिवार्य है। अतः महोदय से निवेदन है कि स्कूल में दोनों शिक्षक नियुक्त करने की कृपा करें।
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कलेक्टर ने लिया संज्ञान
इस मामले में खास बात यह है कि कलेक्टर कार्तिकेय गोयल न सिर्फ मामले की गंभीरता को देखते हुए ने स्कूली बच्चों से भेंट करते हुए उनसे बातचीत बल्कि उनकी समस्याओं को फिर सुना ।