प्राचीन परंपरा से विद्यार्थियों ने किया अपने गुरुओं का स्वागत
👉🏻 बबलू मोटवानी ✍🏻
घरघोड़ा। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय कोतरा में बड़े ही धूमधाम से गुरु पूर्णिमा का पवन पर्व मनाया गया। मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। विद्यार्थियों ने मुख्य द्वार पर गुरु पूर्णिमा की रंगोली बनाकर अपने गुरुओं का आरती एवम् पुष्प वर्षा से सम्मान किया। विद्यार्थियों द्वारा गुरु की महत्वता पर प्रकाश डाला गया। विद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता विजय कुमार प्रधान ने गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है। इस पर विद्यार्थियों को विस्तृत जानकारी दी। गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु के प्रति समर्पण और कृतज्ञता का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान दर्जा दिया गया है, क्योंकि गुरु ही हमें अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। यह दिन हमें गुरु के योगदान को सराहने और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान का सम्मान करने का अवसर प्रदान करता है। विद्यालय के प्राचार्य जे एल नायक ने अपने उद्बोधन में अपने सभी गुरुओं को याद करते हुए नमन किया और कहा कि आज जो भी मैं यहां पर खड़े होकर बोल रहा हूं वह सभी हमारे गुरुओं की देन है। गुरु और शिष्य अपने अपने दायित्व का निर्वहन करे। इस पर विशेष जोर डाला। व्याख्याता श्यामा पटेल ने अपने गुरुओं को याद करते हुए गुरु शिष्य की परंपरा पर जोर डाला तथा टी एल एम के माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करते हुए नई शिक्षा नीति के बारे में प्रोत्साहित किया। प्रधान पाठक श्वेता सिंह ने अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों से कहा सभी गुरु अपने शिष्य का कल्याण चाहते अपने गुरुओं की आज्ञा का पालन करते हुए अपने जीवन को सफल बनाना है। व्याख्याता बीर सिंह ने कहा विद्यार्थी सर्वप्रथम अपने आप को, अपनी काबिलियत को पहचानते हुए अपनी स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में कार्य करें निश्चित रूप से उनका भविष्य सुनहरा होगा। गुरु शिष्य एक चक्के के दो पहिए हैं दोनों को मिलकर एक साथ चलना होगा तभी विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास संभव होगा। विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की बेहतर प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम को सफल बनाने में सांस्कृतिक प्रभारी नीलू भारद्वाज,एवम् सभी स्टाफ का विशेष योगदान रहा।