मनमानी

आभा ऐप का फरमान बना मरीज़ों के परिजनों के लिये जी का जंजाल

ब्रह्मोस न्यूज की ग्राउंड रिपोटिंग

ब्रह्मोस न्यूज रायगढ़। स्वास्थ सुविधाओं को आसन बनाने के लिये जहां केंद्र एवं राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत घर पहुँच सेवा दे रही है। तो वही दूसरी ओर नित नए तरीकों से मेडिकल कॉलेज का कोई न कोई  फरमान  मरीजो और उसके परिजनों के लिये परेशान का सबब बना हुआ है। ऐसे ही मामले में इस बार आभा एप में मरीज का ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन परिजनों के लिये परेशानियों का कारण बना हुआ है। खास बात यह है कि आभा एप में ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन के बाद ही मेडिकल कॉलेज में मरीजो की पर्ची काटी जा रही है । ऐप में ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन नही होने की स्थिती में मरीज और उसके परिजन भटकते ही रह जाते है। 

हेल्प डेस्क

गौरतलब है कि   हॉल ही स्वास्थ सुविधाओं की मॉनिटरी करने के लिये  आभा ऐप लागु किया गया है। जिसमें मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आने वाले मरीजो को पहले आभा ऐप डाऊनलोड करना होता है और उसमे अपना ऑन लाइन रजिस्टिेशन के बाद ही  पर्ची काटी जाती हैै। जबकि मेडिकल कॉलेज की ओर से अस्पाताल मेें कोई अलग से काऊंटर तक नही खोला गया है। मात्र हेल्प डेस्क में एक अप्रशिक्षित  व्यक्ती को  बैठा दिया गया है जो ठीक तरीके से मरीजो को इसकी जानकारी तक नही दे रही है। यही नही सूत्रों की माने तो कई ऐसे मरीज भी है जो  आभा ऐप के झंझट से बचने के लिये प्राइवेट हॉस्पिटल की ओर ही रूख कर जा रहे है। ऐसे में शासन एक तरफ स्वास्था सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिये दाई दीेदी  क्लिनिक तथा मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ योजना सहित अनेको योजनाऐ संचालित कर रही है तो दुसरी ओर मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीजो के लिये आभा ऐप  में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का फरमान निकाल कर मरीजो व उनके परिजनों की परेशानियों को और बढ़ाना ही है। 

क्या गुजरती होगी परिजनो पर जब…

खास बात यह है कि हजारो ऐसे लोग होते है जिनके पास स्मार्ट फोन नही होते है और अनन फनन में मरीज को किसी तरह लेकर अस्पताल आते है। ऐसी हालत में उन्हे आभा ऐप के कंडिशन से होकर गुजरना किसीे आस्मानी कहर से कम नही ​होती। खास कर उस वक्त जब उसका कोई अपना किसी बिमारी से ग्र​स्ति तकलिफ में हो। उसमे भी आभा ऐप के जानकारी के बगैर लम्बी लाइन लगना और विंडो में पहुंचने के बाद उसे आभा ऐप में ऑने लाइन रजिस्ट्रेशन करने की बात कही जाती है। तब उस पर क्या गुजरती होगी यह मरीज या फिरे उसका परिजन ही बता सक्ता है जो हडबडी में सारे काम छोड़ कर इलाज कराने पहुंचे होते है।

न कोई प्रचार प्रसार न ही कोई जानकारी

जानकारी की माने तो इसके लिये अब तक न तो कोई प्रचार प्रसार किया गया है और न, ही कोई जानकारी दिया जाा रहा है कि आभा ऐप जैसेे कोई ​सिस्टम में ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन किया जाना है अन्यथा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आने वालाा मरीज या उसका परिजन ओपीडी में लाइन लगाने की बजाय हेल्प डेस्क में लाइन लगा कर ऑन लाइन रजि​स्ट्रेशन करता और तब जाकर उसकी पर्ची असानी से कट जाती। 

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परिजनों से ऑपरेट्रर का काम करा रहे है अस्पताल प्रबंधन 

इस पूरी प्रक्रिया में अगर हमें गौर फरमाये तो लगाता है कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के ऑपरेटर का काम हॉ​स्पिटल में आने वाले मरीज कर रहे है। अन्यथा जिस ​पहचान और रिकार्ड का काम आधार कार्ड से हो जा रहा था उसके लिये आभा ऐेप की क्या जरूरत पड़़ गई जिसके लिये मेडिकल कॉलेज में एक काऊंटर तक खोला नही जा सक रहा है। 

क्या कहते है अस्पताल प्रबंधन

 प्रदेश स्तर पर आभा ऐप आया है जिसमे अस्पताल में आने वाले सभी मरीजो को आभा ऐप डाऊन लोड करना है और रजिस्ट्रेशन करना है। इससके लिये अलग से कोई काऊंटेर नही है। रही बात एमरजेंसी की तो उसके लियेे व्यवस्था की जायेगी।

मनोज कुमार मिंज 

सुप्रिटेंडेंन मेडिकल कॉलेज

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