विभाग के पास दर्ज ही नहीं आंकड़े और पुलिस खोज निकली घुमंतू बच्चों को
रायगढ़ ब्रह्मोस । लंबे समय से जिस नशे के दलदल में फंस चुके घुमंतू बच्चों को सुधारने की दिशा में जिस विभाग को पहल करनी चाहिए। उस महिला बाल विकास विभाग ने तो बरसों तक घुमंतू बच्चों के लिए कुछ नहीं किया परंतु जिले में पहली बार पुलिस विभाग ने एक ऐसे व्यापारी का राज फास कर दिया है जो इन घुमंतू बच्चों को सुलेशन बेचकर नशे के दलदल में एक प्रकार से धकेलने का हीं काम किया है। इस लिहाज से पुलिस कप्तान दिव्यांग कुमार पटेल ने जिस संवेदनशीलता का परिचय दिया है। वह काबिले तारीफ है और एक प्रकार से घुमंतू बच्चों को नशे के दलदल से निकालने की दिशा में कारगर साबित होगा। इस मामले में यूं कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जिस महिला बाल विकास विभागों को इन बच्चों को सुधारने की जिम्मेदारी दी गई है। बरसों से अब तक कुछ नहीं किया और वह नाकाम ही साबित हो रहे है और नाइट शेल्डर स्कूल से लेकर इन बच्चों के लिए चलाये जा रहे योजनाओं के नाम पर हजारों-लाखों का वारा न्यारा कर रहे हैं। ऐसे में इन विभाग के उच्च अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करना चाहिए। यह कहने की जरूरत नही है परंतु ऐसे मामले में भी जिला प्रशासन का खामोश रहना समझ से परे है। इसमें पुलिस विभाग द्वारा की गई हनुमान साइकिल के खिलाफ कार्यवाही के बाद जिला प्रशासन को भी घुमंतू बच्चों की देखरेख करने वाले विभाग के खिलाफ भी तत्काल एक्शन लेना चाहिए।
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गौरतलब है कि जिले में जिस तरीके से नाबालिक अपराधियों की संख्या दिन ब दिन बढ़ते जा रही है। इस तरह घर से परेशान और अपनों के सताए नाबालिक घुमंतू बच्चे घर छोड़कर निकल जाते हैं और अपनी रोजी-रोटी की जुगाड़ में इधर-उधर कचरा बिनते हुए नजर आते हैं परंतु अपने गम को छुपाने के लिए घुमंतू बच्चे भी नशे का सहारा लेते हैं जो आमिर जादो की तरह सिगरेट पीकर या शराब में डूब कर गम गलत तो नहीं करते परंतु कम पैसे में अधिक नशे हो सके इसके लिए सुलेशन को नशा के रूप में बरसों से इस्तेमाल करते आ रहे हैं। जिस पर महिला बाल विकास विभाग की नजर तो नहीं गई परंतु प्रतिष्ठानों में काम करने वाले नाबालिक और मेहनती बच्चों को श्रम विभाग टारगेट करते जरूर ननजर आते हैं और पीछे रह जाते है घुमंतू बच्चे जो यूं ही उपेक्षा का दंश झेलते हैं रह जाते हैं।
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पुलिस विभाग ने किया सराहनीय कार्य
नशे के दलदल में डूबे इन घुमंतू बच्चों को लेकर पुलिस विभाग लगातार शिकायतें मिल रही थी जिसे पुलिस कप्तान दिव्यांग कुमार पटेल ने गंभीरता से लेते हुए नगर पुलिस अधीक्षक आकाश शुक्ला को कार्यवाही के लिए निर्देशित किया इससे नगर पुलिस अधीक्षक ने घुमंतू बच्चों पर नजर रखना शुरू कर दिया और 6 घुमंतू बच्चों को महिला डेस्क में बुलाकर पूछताछ किया जहां घुमंतू बच्चों ने अपने नशे के व्यापारी का राज पास कर दिया और बताया कि उन्हें सुभाष चौक स्थित हनुमान साइकिल स्टोर के यहां से आसानी से सुलेशन प्राप्त हो जाता है। इसके कारण शहर के अधिकांश घुमंतू बच्चे हनुमान साइकिल स्टोर से सुलेशन खरीद कर नशे में धुत रहते हैं । घुमंतू बच्चों के इस बयान के बाद पुलिस विभाग ने गंभीरता से लिया और कोतवाली थाना प्रभारी तथा चक्रधर नगर टीआई कि टीम बना कर कार्यपालिक मजिस्ट्रेड तृप्ति चंद्राकर के साथ हनुमान सायकल स्टोर में दबिश दी जहां 6 कार्टून में 1360 सुलेशन की जप्ती की गई इसमे पुलिस ने हनुमान सायकल स्टोर के संचालक के खिलाफ धारा 170 बीएनएसएस के तहत प्रतिबंधात्मक कार्यवाई करते हुए दुकान के संचालक को जेल दाखिल कर दिया गया है ।
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विभाग के पास नही है रिकॉर्ड
इस मामले में महिला बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी श्री कच्छप की माने तो विभाग के पास ऐसे किसी भी घुमंतू बच्चों का रिकॉर्ड विभाग के पास नहीं है परंतु विभाग इन बच्चों के पढ़ाई-लिखाई के लिए नाइट सेंटर स्कूल जरूर चला रहे हैं । इसमे सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित योजना का फायदा उठाने के नाम पर जिले के एंजियो व समाजसेवी संस्थाएं भी मतलब साधने से बाज नहीं आते और अपनी दुकान दारी चला रहे हैं। जबकि इन दो दशक में अब तक कितने घुमंतू बच्चों को भविष्य संवारा गया है अथवा उन्हें सुधारा गया है। इसका भी विभाग के पास कोई जवाब नहीं है। ऐसे में इस मामले में जांच की जाए तो कई बड़ी गड़बड़ झाला उजागर हो जायेंगे। इसकी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
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वर्जन
जिले के घुमंतू बच्चों का विभाग के पास ऐसी कोई आंकड़ा दर्ज नहीं है।
एल कच्छप
महिला बाल विकास विभाग अधिकारी रायगढ़