बाल साहित्य

बच्चों ने मनाया वरिष्ठ बाल साहित्यकार पयोधि के बाल साहित्य का उत्सव

लक्ष्मी नारायण लहरे (रायपुर)
ब्रह्मोस न्यूज़ भोपाल। दादू की कविताओं में हमारे मन की बातें हैं।उन्हें पढ़ते हुए हमें अपने सवालों के जवाब तो मिलते ही हैं,हमें अपनी अच्छाइयों और कमियों का पता भी चलता है।अब इसी कविता को देख लीजिए : “सुबह देर तक सोते रहना/बात-बात में रोते रहना/समय फालतू खोते रहना/सचमुच ठीक नहीं।” इसे पढ़ते हुए मुझे ऐसा लगा कि पयोधि दादू ने यह कविता मेरे लिये ही लिखी है।” ये बातें छटवीं कक्षा की छात्रा कु.सिहायना ने वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मीनारायण पयोधि की ‘ठीक नहीं’,’परी किताब’ और ‘बादल बच्चे’ शीर्षक कविताएँ प्रस्तुत करते हुए कहीं।


उल्लेखनीय है कि कला समय संस्कृति, शिक्षा और समाजसेवा समिति,भोपाल द्वारा मध्यप्रदेश शासन,संस्कृति विभाग के सहयोग से 23-24 सितंबर को आयोजित दो दिवसीय ‘संस्कृति-पर्व-7’ के अंतर्गत ‘बच्चों के बीच पयोधि का बाल साहित्य’ कार्यक्रम में विद्यालयीन बच्चों ने पयोधि की सद्य: प्रकाशित 10 पुस्तकों में से अपनी पसंद की कविताएँ-कहानियाँ चुनकर उन्हें कलात्मक ढंग से पढ़ते हुए उनके बारे में अपनी बात कही थी।
मंच पर दादा जी की भूमिका में बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए प्रस्तुतियों का आनंद ले रहे थे,कार्यक्रम-अध्यक्ष के रूप में वरिष्ठ बाल साहित्यकार श्री महेश सक्सेना,वरिष्ठ चित्रकार श्री कैलाश तिवारी और सुप्रसिद्ध इतिहासकार और पुरात्वविद  कैलाशचन्द्र घनश्याम पाण्डेय (मंदसौर)।कुशल संयोजन और सुरीला संचालन किया सुपरिचित गायिका,आकाशवाणी की ग्रेडेड आर्टिस्ट और उद्घोषिका तथा ‘कला समय युवा संगीत-साधना सम्मान 2024’ से विभूषित प्रतिभा सुश्री कौशिका सक्सेना ने।संचालन के दौरान कौशिका जी ने भी बच्चों की आवाज़ में ‘घनी-घनी दादा की मूँछें’ और ‘खरगोश’ शीर्षक कविताएँ गाकर सुनायीं।हू-ब-हू छोटी बच्ची की आवाज़ में कौशिका जी के गीत सुनकर उपस्थित बच्चे और बड़े सभी आनंदित हुए।बरहवीं कक्षा की कु. सना खान ने जिन भाव-भंगिमाओं के साथ कहानी ‘दान का धन’ प्रस्तुत की,उसे सुनकर पूरा हाल करतल ध्वनि से गूँज उठा।कार्यक्रम की शुरुआत दूसरी कक्षा की नन्ही-मुन्नी कु.तुर्या सोनी ने अपने छोटेछोटे हाथों के इशारों से चिड़िया को बुलाते हुए ‘आजा चिड़िया रानी’ गीत गाकर की।कार्यक्रम में कु.पल्लवी राठोड़,चि.सार्थक श्रीवास,कु.अंतरा श्रीवास और चि.हरिन श्रीवास ने भी कविताएँ-कहानियाँ प्रस्तुत करते हुए उनकी विशेषताएँ बतायीं।
विशेष अतिथि कैलाश तिवारी ने बाल मनोविज्ञान की चर्चा करते हुए प्रस्तुत कविताओं और कहानियों में बच्चों की भाषा में बाल मनोभावों की बारीक बुनावट का उल्लेख किया।उन्होंने कहा कि श्री पयोधि अपनी इस उम्र में भी यह महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं,जो अत्यंत कठिन,मगर नयी पीढ़ी की मजबूत बुनियाद के लिये आवश्यक है।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महेश सक्सेना ने कहा कि बच्चे अच्छी किताबों के प्रति आकर्षित होते हैं,उन्हें पढ़ते हैं,समझते हैं और उनसे शिक्षा भी ग्रहण करते हैं,यह हमने आज के इस कार्यक्रम में भी बच्चों की बातों से अनुभव किया है।उन्होंने हिन्दी बाल साहित्य में पयोधि के अवदान को रेखांकित किया।
ग़ौरतलब है कि भोपालपटनम् के सुप्रसिद्ध साहित्यकार लक्ष्मीनारायण पयोधि की विभिन्न कविताएँ,कहानियाँ और जनजातीय संस्कृति पर केन्द्रित लेख केन्द्रीय तथा मध्यप्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रमों में शामिल रहे हैं।वे मध्यप्रदेश शासन,आदिम जाति कल्याण विभाग (वन्या) की मासिक बाल पत्रिका ‘समझ झरोखा’ के यशस्वी संपादक भी रहे हैं।

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